न तो इसपर बोल सकता हूं और चुपचाप देखता हूं तो अन्याय होगा ,,,,,,,,,,,, बेहतर है न्याय व्यवस्था स्वयंभू बनते हुए खुद का समीक्षा करें और लोकतंत्र में सर्वोपरि "लोक" अर्थात नागरिकों का इकाई है अतः न्याय विभाग को "समर्पित सेवा" बना कर नागरिकों के इकाईयों अर्थात "लोक" को अर्पित करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ करें 🙏
"sugamdarsion: arenas of writers" अर्थात लेखकों के अखाड़ा के रूप में प्रतिष्ठित आपका "विचार दर्शन " जिंसे आप #सुगमदर्शन के नाम से जानते हैं, साथियों सुगमदर्शन रातों-रात तामझाम खड़ा करके प्रसिद्धि पाने व स्टैंट नहीं है जिसके चलते आपको इसका कोई स्थिर प्रारुप प्राप्त हो ,अपितु अथाह सागर जैसे विचार का समुच्चय है जिसके गति व स्थिति दोनों एक सामान्य जनजीवन के लिए अबूझमाड़ की जंगलों की भांति भूल-भुलैया जैसा है किंतु उसी जंगल से प्राप्त वन संपदा उसी जनसामान्य के लिए जीवनदायिनी सिद्ध होने में संदेह नहीं
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